Tuesday 12 June 2012


वार 


ये प्रेम की जंग है 
सिर्फ प्रेम से जीती जा सकती है I


किसी और हिकमत से नहीं I

हर जंग 
प्रेम की जंग है I



तिरंगा

न तो 26 जनवरी है
और न 15 अगस्त I

पडोसी ने अपनी छत पर 
ऊंचा भव्य तिरंगा फहराया है I

हालाँकि, छुप कर, सैल्यूट कर आया हूँ
कई बार निहार आया हूँ
खिड़की से, पेड़ों को डोलता देख
भागता हूँ बाहर

पर न जाने क्यों 
इस सीधे-सादे  भले-से पडोसी को लेकर 
अनेक शंकाएं जाग उठी हैं

सरकारी मामला है कुछ !
किस दल में गया ?
किसी आयोग का मुखिया बन गया  हो शायद !
जुटेगी भीड़ रोज़ 
हल्ला होगा
अब ठीक से पेश आएगा या नहीं   
 !!




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