वार
सिर्फ प्रेम से जीती जा सकती है I
किसी और हिकमत से नहीं I
हर जंग
प्रेम की जंग है I
तिरंगा
न तो 26 जनवरी है
और न 15 अगस्त I
पडोसी ने अपनी छत पर
ऊंचा भव्य तिरंगा फहराया है I
हालाँकि, छुप कर, सैल्यूट कर आया हूँ
कई बार निहार आया हूँ
खिड़की से, पेड़ों को डोलता देख
भागता हूँ बाहर
पर न जाने क्यों
इस सीधे-सादे भले-से पडोसी को लेकर
अनेक शंकाएं जाग उठी हैं
सरकारी मामला है कुछ !
किस दल में गया ?
किसी आयोग का मुखिया बन गया हो शायद !
जुटेगी भीड़ रोज़
हल्ला होगा
अब ठीक से पेश आएगा या नहीं
!!
No comments:
Post a Comment