Tuesday 12 June 2012


मृत्यू

हमारा किया हर काम 
या तो पक्ष में 
या विपक्ष में है 
मृत्यू के I

हम रोज़ मृत्यू से दो-चार होते हैं I
रोज़ हमको घेरती है मृत्यू I

हमारी जिजीविषा लडती है रोज़ I
हमारा उत्साह लड़ता है I
हमारा दिल-दिमाग-खून
रेशा-रेशा हमारा लड़ता है 
मृत्यू के खिलाफ I

मृत्यू के हज़ार-हज़ार हाथों से 
लड़ते हैं हम I
छण-छण I

मृत्यू हमको सीधे नहीं मारती I
मृत्यू इकहरी नहीं होती I

मृत्यू चलती है हज़ार चालें I

मृत्यू हमको मारने से पहले
हमको राज़ी करती है मरने के लिए I

हमारा जोड़ा 

हमने एक-दूसरे में देखे 
तमाम विरोधाभास 
एक साथ नहीं चल सके I

हमारे मूल्य एक हैं
मेयार हैं अलग 
अलग-अलग है हमारी राह
हमारा जोड़ा नहीं बन सका I

हम एक दूसरे से करते हैं प्रेम I
जिसे कहते हैं प्रेम
किसी और से नहीं कर सकते कभी I

अब भी
मन ही मन 
एक-दूसरे से कहते हैं हम
- आई लव यू वेरी मच I

एक दूसरे के बिना 
नहीं जी रहे हैं हम I


तुम आओ, मेरी चाँद


मेरी चाँद...

बहुत सारे शहर
तुम्हे याद करने की यादों से भरे हैं
नदियाँ और उनकी ओर जाती नदियाँ तमाम...

जैसे
हरिद्वार
गंगा और उसके घाट
श्रीनगर की धूप, चौराहे
अमरनाथ की सुनहरी बर्फ
मेरे माथे से लगी एटा की धूल
महेंद्र नगर के चौड़े बाज़ार का सूनापन
संभलपुर की डरावनी रात
पुरी के तट पर तुम्हारे नाम को समेट कर ले जाती लहरें
देवबंद की गलियों की भटकन
बनारस का सबकुछ
इलाहाबाद की लू
लखनऊ की तपिश
दिल्ली की खटास
चंडीगढ़ की हवा
पानीपत के नाले
बागेश्वर की सरयू...

चन्द्रमा हर बार तुम्हारे दूर होने को असह्य बनाता है...
तुम्हे याद करने की यादों से भर चुका है मेरा जहाँ ....
तुम आओ मेरी चाँद ...

अपनी यादों को बेदखल करने
उनमे नया अर्थ भरने
अपने दोनों हाथों से मुझे थाम लेने के लिए...

मेरी चाँद...


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